6/13/2012

" अर्थ का करिश्मा "


मन के अंधेरे में हे इंसान 
          तू भटक रहा अर्थ में 
लालच का प्रतिफल है 
        तू भटक रहा जीवन में 
इर्ष्या और द्वंद में 
       तू भटक रहा जीवन -मरण में 
हर पल खुद में  उलझा है 
     तू भटक रहा आने वाले पल में 
जो भी तू देखता है,तू उसे तौलता है 
     तू भटक रहा सही और गलत में  
 तू आनन्द कहाँ ले पता है 
     तू भटक रहा मिले गम से लड़ने में 
परमात्मा को छोड़ चूका है  
     तू भटक रहा अपने अंतर में 
खरीद रहा है तू प्रेम 
    तू भटक रहा है सुन्दरता के भंबर में    
तेरे अर्थ का करिश्मा है 
      तू भटक रहा आत्मा बेचने व 
                     खरीदने के चक्र में 
 मन के अंधेरे में हे इंसान 
           तू भटक रहा अर्थ में 
Note-Part of artwork is borrowed from the internet ,with due thanks to the owner of the photographs/art