2/01/2013

"शब्दों को मिटा दें "


आग उगलते शब्द 
शब्दों से ही जलते हम 
शब्द के सहारे हैं सारे 
प्यार भी है शब्द 
नफरत भी है शब्द 
हम से शब्द जाने हैं 
शब्दों के सहारे आज 
आओ नफरत की बात करें 
क्वाइसी शब्द को तोड़ें 
अहम का मुख मोड़ें 
ठाकरे शब्द को निचोड़ें 
भाजपा का सच घोलें 
गांधी को बताएं, सच बोलें 

आओ खुद को जला दे 
शब्दों को मिटा दे 
रूमानी गालियों को 
फड़फड़ाती धड़कनों के दर्द 
किस्मत औ उलफत की कहानियों को 
खुदा औ खुदा के डर 
गरीबी,लाचारी औ बेबसी 
लड़खड़ाती जुबानों की तन्हाइयों को 
धर्म का दंभ 
रिवाजो के बोझ 
समाज के बंधन
दम घोटते संस्कारों को। 

आओ मै औ तू मिटते है 
मै राम मिटता हु 
तू रहमान मिटाना 
मै हिन्द मिटाता हु 
तू पाक मिटाना ।
मै अपना मिटाता हु 
तू गैर मिटाना 
मै चुनाव मिटाता हूँ 
तू मतदान मिटाना ।
मै कानून मिटाता हु 
तू संविधान मिटाना।
मै तू मिटाता हु 
तू मै मिटाना ।

आओ इशारों मे बात करें
वादी को शब्द विहीन कर दें 
माथे के सिकन को समझें
मानवता की गर्माहट बिखरने दें  
कुलकुलाहट गूंजने दें 
धड़कन संगीत सुने 
साँसों की गहराइयों को जाने 
मुखरित अम्बक पहचाने
अमिय आमोद  पुष्प बिछाएँ 
धरित्री को विहार माने 
शब्दों को मिटा दें 
इन्सानों को जिंदा कर दें ।