3/07/2018

बंद कमरे

बंद कमरे में
इन बहरी दीवारों के संग रहकर
मैं भी बंद हो गया हूँ
अब जो कुछ भी मेरे अंदर पहुंचती है
उन पुरानी किताबों से
जो बहुत पुरानी बातें करती है
या मुझे झूठी दुनिया का दर्शन करवाती है
और जो कुछ नया ताजा 
मेरे अंदर प्रवेश पाना चाहता है
छानने लगती हैं
परीक्षाओं की छन्नी से
और छण कर जो मेरे अंदर पहुंचती है
मुझे कुछ नया नही करती है
मैं अपनी उद्वेलना को
बंद कमरे में दफन कर बाहर निकलता हूँ
बाहर की दुनिया जो जीवित है
और जीवित होने का स्वांग भी कर रही है
पर, मैं बंद कमरे का आदी हो चुका हूं
चीखती आवाजें मेरे भीतर की दीवार को
भेद नही पातीं हैं।

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