4/13/2012

" टूटीं पंग्तियाँ "

इन टूटी फूटी पंग्तियों का
इस टूटी फूटी जिन्दगी से ,
क्या वास्ता,
ए खुदा अब तू ही हमें
दिखा कोई रास्ता.

अँधेरा छाया आँखों पे
दिखता नहीं दूर तक दिया,
ए खुदा अब तू ही हमें
दिखा कोई तारा रोशनी का.


बिखर न जाऊं मै,हमें
लोहे सा बना
खाकर ठोकर चटान की भी,
टिका रहूँ मै , सदा.


दुःख  से  भर कर भी
गम के पहाड़ों पर चढ़ कर भी
मेरे ह्दय ,
ओढ़े मुस्कराहट का पर्दा  .

प्यार भर दो इतना ,
कडवे बचनो में भी बिछ लूँ प्यार  जितना ,
मिट जाये  नफरत, नफरत की  समझ ,
दूँ दुनिया को प्यार सदा.

भूल चुकी दुनिया, प्यार क्या ?
दूर तक नहीं दिखता
हमें  इसका निशान
ए खुदा अब तू ही हमें बता
प्यार क्या ?महत्व क्या, प्यार का

न हो कोई गैर
न हो किसी से  बैर
जिससे मिलूं मुस्कुरा कर मिलूं
भर दूँ ह्दय
प्यार से लबालब .

मै जाऊं  जिधर
छलकता जाऊं प्रेम
मिटाता जाऊं अँधेरा
दिखता जाऊं सभी को
वो रोशनी का तारा .

इन टूटी पंग्तियों का
इस टूटी फूटी जिन्दगी में
महत्व क्या
ए खुदा अब तू ही हमें
दिखा कोई रास्ता .

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