1/24/2015

“ क्या लिखूं “


    क्या लिखूं?

जीवन के हर हिस्से पर
लहु के हर कतरे पर
स्वप्नों के हरेक सांस पर
तेरा अधिकार लिखूं
दर्द लिखूं या हर्ष लिखूं
प्रिये लिखूं या जान लिखूं
तू मुझ से इतर कहाँ है
मै तेरा हूँ तू मेरी है.
  
  क्या लिखूं?

उलझन लिखूं या समाधान लिखूं
तड़प लिखूं या प्रशांत लिखूं
मेरे हरेक गीत हर टूटी पंक्तियाँ तेरी है
तू मुझ से इतर कहाँ
मै तेरा हूँ तू मेरी है
तू मेरी प्रेरणा मेरी हमजोली है
मेरी अंधभक्ति मेरी सहनशक्ति है
तू मुझ से इतर कहाँ
मै तेरा हूँ तू मेरी है.
   
   क्या लिखूं?

फ़क़ीर लिखूं कबीर लिखूं
मदिरा लिखूं अजान लिखूं
मीठी थपकी लिखूं आग लिखूं
तू मुझ से इतर कहाँ
मै तेरा हूँ तू मेरी है
  
   क्या लिखूं?

कंगन की हथकड़ियाँ लिखूं
पायल की बेड़ियाँ लिखूं
समझौते का सागर लिखूं
सिंदूर का स्वांग लिखूं
सम्मानित चौखट की लकीर लिखूं
एक पिंजरे के बदले दूसरा पिंजरा लिखूं
   
   क्या लिखूं?

आजादी तुझे दान लिखूं
दुर्गा लिखूं शक्ति लिखूं
लाल चुंदरी का फास लिखूं
लक्ष्मण रेखा लिखूं
अग्नि परीक्षा लिखूं
सभ्यता संस्कृति का बखान लिखूं
   क्या लिखूं?
 

1/17/2015

कुछ तो असर होगा तेरा





अजनबी थे बेहतर
सोचा करता था मगर

इतना सुकून कहाँ था
कुछ तो असर होगा तेरा
तेरा होने का.

कि स्थिर हुआ जाता है अब मन
व्यथित जो घूमता था कल तक
कुछ तो असर होगा तेरा
तेरा होने का.

ख्वाब के पंख थे
उड़ने की कोशिश में रहता था

मगर ख्वाब में जान अब आई है
पाँव टिकने को हैं अब जमीं पर
कुछ तो असर होगा तेरा
तेरा होने का

बेतरतीब सी जिन्दगी का मालिक था मै

रात-रात भर जगा करता था
मगर सुबह सोने का मतलब अब बनता है
कुछ तो असर होगा तेरा
तेरा नेह होने का.....