12/21/2012

कब तक "प्रशांत "बहता


एक स्तित्व की तलाश मे 
बहार गुजर जाने के बाद
पतझड़ मे पत्ते ने कदम बढ़ाया
हरे बगीचे को छोड़ना चाहा 
पेड़ ने उसकी पीठ थपकाई
पेड़ की शाबाशी से हो अहलादित
पत्ते ने उड़ान भरी
पर, कब तक "प्रशांत" बहता 
पेड़ की भी एक सीमा थी
वो जमीन पर आ गिरा
माध्यम सी ब्यार बही
एक नवीन -ऊर्जा पत्ते ने महसूस किया
पत्ते ने फिर उड़ान भरी
यूं भी अब जीवन-सत्रोत नहीं था 
पत्ते को अब कहाँ 'नेह" मिलता
पत्ते को ये एहसास था
खड़खड़ाते हुये भी "प्रशांत" चल पड़ा था
पर,लड़खड़ाते ख्वाबों के सहारे
कब तक पते को सम्मान मिलता
पत्ते को भी मिटना था
यूं, तो "प्रशांत" ख्वाब था हरे बगीचे का। 
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11/19/2012

नीली वाली मेरी वाली

जब से तुम्हें देखा है

तुम मेरे लिए नीली वाली हो
हाँ उस दिन तेरे टॉप का रंग यही था
जब तूम अपनी सहेली के साथ जा रही थी
वो मेरे दोस्त की पीली वाली
हम दोनों ने तब से तुम्हें बाट लिया है
अब तुम मेरी वाली हो
उस दिन हम दोनों ने पार्टी किया था
नीली वाली तेरे लिए हमने पिया था
तुम्हें पता नहीं है तुम पे मेरे दोस्तों ने
मेरा कितना अधिकार दिया है
नीली वाली मुझे तेरा आशिक घोषित किया है
अब दोस्तों ने तुम्हें कहीं देख कर
मुझे बताना शुरू कर दिया है
आज तेरी वाली मिली थी
यार नई ड्रेश पहनी पहनी थी
बहुत मस्त लग रही थी
भाई न्यू पिंच,ट्रीट
अब सौपिंग तुम खूब करो
नीली वाली ट्रीट हमने देना शुरू कर दिया है
नीली वाली मेरी वाली
अब तुम मेरे दोस्तो की भाभी हो
तुम्हें तो पता भी नहीं है
मेरे दोस्तों ने सबों को समझाया है
नीली वाली अब इसकी है
कितने लड़कों को धमकाया है
नीली वाली से दूर रहो
सारे अपनी नियत साफ रखो
और भी बहुत सारीं हैं
ये लो सफ़ेद वाली तेरी
खुश रहो पार्टी दो
नीली वाली को भाभी समझो
नीली वाली मेरी वाली
तुम्हें पता नहीं है
सबों ने मिलकर मुझे प्यार करवा दिया है
मैंने तो तुम्हें सिर्फ देखा था
सबों ने उसे पहली नजर का प्यार जता दिया है
अब मुझे भी कुछ प्यार सा लगता है
अपने दिल मे तेरे लिए मर्म महसूस किया है
नीली वाली मै तुमसे प्यार करता हु
पीकर मैंनेदोस्तों के सामने इजहार किया है
अब दोस्तों ने परपोज करने का टिप्स
अपने अपने अंदाज मे देना शुरु कर दिया है
सबों के अंदाज़ मिलकर जब मैंने
तुम्हें परपोज करने का तरीका रखा है
सबसे जुदा अंदाज़ मेरा है
सबों ने मिलकर पार्टी मांगा है
नीली वाली मेरी वाली
जब तुम जानोगी, मुस्कुराओगी।
मै तुम्हें परपोज करने आ रहा था
नीली शर्ट पहन कर
नीली कवर से सजा गिफ्ट लेकर
तभी मेरे एक दोस्त ने
तेरे बॉय फ्रेंड होने की सूचना दी थी
मैंने अपनी नीली शर्ट की बटन तोड़ कर
तुमको खुद से ज़ुदा किया था
मै शिथिलमूकदर्द से भरा था
नीली वाली मेरी वाली मेरा प्यार अब शुरू हुआ था
और दोस्तों ने याद दिलाया था
यारउस दिन नीली और पीली वाली के साथ और
मैंने लाल वाली कह कर बात पूरा किया था
और सबने हँसते हुये
टूटे दिल का दर्द दफन किया था
हमने खूब पिया चेर्यस करते हुये लाल वाली को अपनाया था


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11/13/2012

"भारत महान "


आओ हम सब जयकार करें 
खाने को रोटी नहीं
बदन पे कपड़ा नहीं
भारत को महान कहें।

आधी आबादी वोट नहीं करती
वोट देना बेकार समझती
25% वोट से कम में हम जीतें
सबसे बड़े लोकतंत्र को सलाम कहें।

रोज हो रहें हैं दंगे
मंदिर-मस्जिद बनाएं
अंतर में नफरत से उबलते रहें
आपसी एकता की गुणगान करें।

धर्म का बाज़ार लगायें 
अल्लाह-राम नीलाम करें 
कुरान-वेद की देश में 
सभ्यता-संस्कृति की बखान करें।

देश की संपदा 100 में बाटें 
साइनिंग इंडिया का बोर्ड टांगे 
गरीब होने की शर्त घटाएं
A जो बोलना सीख लें
100%साक्षरता दर बताएं।

जो युवा काम मांगे 
जो भूखा खाना मांगे 
पैसे पेड़ों पर नहीं उगते 
आओ सबको पाठ पढाएं।

कोई लाल सलाम कहे 
उसे गाँधी की दुहाई दें 
उस पर 100 लोगों के लाकतंत्र का दबाब बनायें
आओ भारत को महान बताएं।

जो  दिल से आह निकले
उसे गद्दार बताएं
100 लोगों के महान देश में
पूरी आबादी भारत की जयकार करें।

भारत माता की जयघोष में
कहाँ थकता है भारतीय मन
दर्द तो ये है
भारत महान नहीं है
कभी भारत महान था।
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11/05/2012

"हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ "A love poem


हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ 
कैसे तुम कृष्ण वियोग में तड्पी होगी 
कैसे इस विछोह को तुमने झेला 
आंसू ना बहाने का वचन क्यों निभाया ?
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ 
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
क्या तेरे मन में नफरत नहीं पनपी?
जिसे साडी दुनिया छलिया कहती
क्या तुझे नहीं लगा ?उसने तेरे साथ छल किया
तेरे मुख उसके लिए कड़वे वचन नहीं उगली
तू कैसे सदा उसे प्यार करती रही
उसके झुठे अस्वासन पे
उसका इंतजार करती रही
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तुमने क्यों ना इंतजार करना छोड़ दिया                                                      
क्यों न सारे वचनों को तोड़ दिया
क्यों उस झूठे का वचन निभाया
आखिर तुमने क्या पाया?हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
अगर मै दुनिया  की मानु
कृष्ण में सारे अवगुण भरे थे
तुमने कैसे उसमे गुण ढूंढ़ निकला
जो उसके मोह में तुझे जकड़े थे
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
आज भी तो तुम जैसी राधा है
मुझ जैसे कृष है
परन्तु अब वो मेरा इंतजार नहीं करती
किसी और के दामन को थाम
जीवन की नई सफ़र शुरु करती है
आखिर तूने ऐसा क्यों गजब कर डाला
आखिर तुमने क्या  पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
मत कहना आज की राधा
कृष्ण से प्यार नहीं करती
अगर वो तुझ सा करती
कब का मिट चुकी होती
आखिर तूने ऐसा क्यों आदर्श बना डाला
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तू भी आज की राधा बन सकती थी
मना तू कृष्ण से प्यार करती थी
पर तूने कृष्ण को नीचा दिखाया
आखिर तुमने क्या  पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
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11/01/2012

मुस्कुराहट का आंचल

सुंदर तन सुन्दर मन 
और तो और 
ओढ़ ली हो जैसे 
मुस्कुराहट का आंचल 
लगती हो कोई परी 
आखें खुली हो या बंद
मिलती रहती हो  हर कहीं 
ऐसा लगता है तुम हो हकीकत 
चाहता हु जब स्पर्श तेरा 
बदल लेती हो अपना बसेरा  
तुम क्या हो समझ नही पता हूँ  
हो हकीकत या कोई परी 
रास्ते तो बहुत है 
 तेरे पास पहुचने का 
तेरे पास पहुँचता हूँ वैसे 
जैसे सीसे के उस पार तुम हो 
इस पर मै खड़ा  हूँ  
देखता हूँ तुमको टकटकी लगा 
बोलना चाहता हूँ  
मै  हूँ  अधुरा 
तुझे मेरे हिलते होठ दिखते  होंगे 
मेरे शब्द तेरे कानों तक पहुचने से पहले 
दम तोड़ देते हैं 
मेरी बेबसी पर ततछन
ओढ़ लेती हो तुम 
मुस्कुराहट  का आंचल 
मै हो जाता हूँ  पूरा .
   


6/13/2012

" अर्थ का करिश्मा "


मन के अंधेरे में हे इंसान 
          तू भटक रहा अर्थ में 
लालच का प्रतिफल है 
        तू भटक रहा जीवन में 
इर्ष्या और द्वंद में 
       तू भटक रहा जीवन -मरण में 
हर पल खुद में  उलझा है 
     तू भटक रहा आने वाले पल में 
जो भी तू देखता है,तू उसे तौलता है 
     तू भटक रहा सही और गलत में  
 तू आनन्द कहाँ ले पता है 
     तू भटक रहा मिले गम से लड़ने में 
परमात्मा को छोड़ चूका है  
     तू भटक रहा अपने अंतर में 
खरीद रहा है तू प्रेम 
    तू भटक रहा है सुन्दरता के भंबर में    
तेरे अर्थ का करिश्मा है 
      तू भटक रहा आत्मा बेचने व 
                     खरीदने के चक्र में 
 मन के अंधेरे में हे इंसान 
           तू भटक रहा अर्थ में 
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5/15/2012

"अन्जान मोहब्बत "


ये प्यार की लहरें 
यूँ ही न  बिखर जाएँ 
चट्टनों  से टकरा  कर 
सागर से पहले न  दम  तोड़ जाएँ 
अंजान  मोहब्बत और मै  अदना  सा 
कातिल  उनकी निगाहें और मै  सहमा सा 

कभी नजरें चुराता कभी खुद को छुपता 
चला मै  अपने धुन  में 
अंजान - अंजान मै सहमा सा 
अपनी निगाहों से  चलता उसे  घेरे 
कहीं जादू कोई चल  जाये ,
वो मरे प्यार में पड़ जाये   

दिल में लिए अरमान 
मै   प्यार में नादान 
कैसे उसको रिझाऊं 
कैसे उसको बेचैन कर जाऊं 
अपनी निगाहें से वो मुझे हटने ना  दे
ऐसे वो मुझे  अपनी निगाहों से घेरे 

प्यार में बेचैन मै
खुद  को  कहीं प्यार ना  कर पाऊं  
खुद को कर बदनाम  मै  
उसको कहीं खो ना जाऊं 
अंजान मोहब्बत   और मै  अदना  सा 
कातिल  उनकी निगाहें और मै  सहमा सा 

 मै नादान  चला करने प्यार का इजहार 
उन्होंने भी बड़े अदब से किया इंकार 
टूटे दिल और मंद -मंद मुस्कान लिए सोचता हुआ लौटा 
दुःख  किसका ,  टूटे दिल  या इंकार का 
हुई पहचान मोहब्बत  से और मै उलझा सा 
कातिल  उनकी निगाहें और मै अपने धुन  में  खोया-खोया सा  .


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5/14/2012

"हम सब चोर हैं" (ख़ुद क़े खिलाफ बगाबत य़ा सच )


अन्ना ने जब लोकपाल माँगा
हम ने उन्हें खूब सराहा
सभी लेकर निकल पड़े झंडे 
हम भी अन्शन करेंगे,खायेंगे डंडे
यूँ भी हम रोज मरते हैं 
भूखे रह कर  अन्शन ही करते हैं
दिल्ली जाकर अन्ना के अन्शन  को बल देंगे
भारत को क्रप्शन मुक्त करेंगे
लगा क्रप्शन को उखड कर ही दम लेंगे  
न्याय-नीति की बात करने वाले
मिड-डे-मील चुराने वाले अध्यापक हो
प्रोक्सी लगा कर बंक मरने वाले,
एग्जाम की रात पड़ने वाले विद्यार्थीगन
सभी  ने जोर लगाया
अपने दामन   पे लगे दाग निकलना चाहा

लोन पास करने के लिए 10% लेने वाले बैंक अधिकारी हो
200  रूपये लेकर बर्थ देने वाले टीटी  हो
प्रक्टिकल में पैसे लेकर पास करते कोचिंग चलते  साइंस टीचर हो 
मोहर लगाने के लिए पैसे लेते चपरासी हो 
रोज न आने वाले बी.डी.ओ बाबु हो
ऑफिस का चाहे कोई बाबु हो 
सभी ने खूब जोर लगाया 
अपने दामन पे लगे दाग निकलना चाहा

जब भी कोई ऑफिस जाओ
साहब नहीं आये है कल आना का जुमला सुनो
रोज-रोज आने का क्या झंझट पालोगे 
जो पैसे भाड़े पे खर्च करोगे, मुझे दो
आपने परेशानी से बचो
साहब जब भी आयेंगे
हम तुम्हारा काम  करवाएंगे
अरे कुछ गलत भी होगा 
साहब को भी चना खिलाएंगे
आप निश्चिंत रहो,
घर पे जाओ, बच्चे के साथ समय बिताओ
ऑफिस के बाबु ने ऐसा समझाया 
हमारी भुझी बत्ती जल उठी
तब  हम न लड़े,अपनी परेशानी बचाई 
अपनी पीढ़ी को क्रप्शन की बीमारी दे डाली
अब  हमने भी खूब जोर लगाया
अपने दामन पे लगे दाग निकलना चाहा

अन्ना ने जब लोकपाल माँगा
तब लालू हो या मुलायम
राहुल हों या कपिल
सभी को तब संसद की मर्यादा  याद आया 
संसद में बैठ कर जो कल तक सोये थे
बेंच तोड़ रहे थे,एक दुसरे को गाली दे रहे थे
कोई संसद में बैठ पोर्न देख रहे थे 
तब ये अर्जुन ,ध्रितराष्ट्र बने रहे 
जब अन्ना ने लोकपाल  माँगा 
सब नींद से जग गए 
सब ने एक स्वर में कहा
हम कानून बनायेंगे,जनता दूर रहे
हम हैं खाए पीये
जनता तो  है भूखी नंगी 
वो जब कानून बनाएगी संसद मैली न हो जाएगी 
अन्ना ने जब लोकपाल माँगा
हम ने उन्हें खूब सराहा.

जब हमने संसद को चोर कहा
बल्त्कारी,धोखेबाज, घुसखोर  कहा  
सभी ने महसूस किया,कैसे वो बिदके 
चोर की दाढ़ी में तिनका सभी ने पढ़ा होगा 
जनता ने तब  महसूस किया
संसद में भाषण  गहराए
बहार वाले को लगता है 
अन्दर सभी बुरे बैठे हैं
माना आप ईमानदार  हो
आपने न कुछ बुरा देखा 
आपने न कुछ बुरा सुना
आपने न कुछ बुरा बोला
आप गाँधी के तीनो बन्दर बने रहे
गाँधी को भूल गए 
आपके साथी नेता खाते रहे 
आप मन बहलाते रहे 
आपनी पार्टी के टिकट  पर
क्रिमनल,बल्त्कारी,खुनी
दबंग  को संसद में लाते रहे
सच तो यही है सांसद  चोर है
संसद मर्यादाविहीन है

अन्ना ने जब लोकपाल माँगा
तब  भाजपा हो,चाहे कांग्रेस 
चाहे गली छाप  राजनितिक  पार्टी हो
सभी ने खुद को पवित्र बताया 
जनता बहकावे में है
अन्ना और उनके साथी में वो दम कहाँ
हम कानून बनायेंगे
अन्ना जैसे लोगों पर 
संसद की मर्यादा पे नोटिश  भिजवायेंगें 
संसद अपना काम  अपने तरीके से करेगी
महिला बिल लटकी रहेगी 
संसद  सांसदों का  वेतन बढाने की कानून घंटे में पास करेगी
लोकपाल को सालों टला 
इस बार भी टालेंगे
हम मजबूत लोकपाल लायेंगे
वादा ही तो करना है,वादा कारने में हम  माहिर है
जनता रोजी- रोटी में उलझी थी
फिर उलझ जाएगी
संसद मजबूत लोकपाल लाएगी
अन्ना ने जब लोकपाल माँगा
हम ने उन्हें खूब सराहा

अगर देखें सभी अपने अंतर में 
खुद में एक करप्ट को पाएंगे
और करप्ट क्या मजबूत लोकपाल लायेंगे
कैसे कैसे चोरी किया आपने 
खुद ये समझ जाओगे
खुद को तब किस जेल में डालोगे 
हम चोर है,हम चोर हैं
ये नारे क्या खुद के खिलाफ लगा पाओगे
हम सभी चोर हैं
सच यदपि  कहना पड़े
खुद के खिलाफ यदि लड़ना पड़े
सच तो यही है,सभी रोटी खाने में ही जुटे रहे
देश को भ्रष्ठ हाथों  में छोड़ कर
रोजी कमाने में उलझे रहे
अन्ना ने जब लोकपाल माँगा
हम ने उन्हें खूब सराहा
सभी लेकर निकल पड़े झंडे 
हम भी अन्शन करेंगे,खायेंगे डंडे
यूँ भी हम रोज मरते हैं 
भूखे रह कर अन्शन  ही करते हैं
दिल्ली जाकर अन्ना के अन्शन  को बल देंगे
भारत को क्रप्सन मुक्त करेंगे  


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5/10/2012

दीदी

दो अछर की मेरी दीदी
कहते हैं उसे लोली 
नाक उसके बड़े-बड़े 
आँखें उसकी गोल 
कभी न पटती मुझसे 
कभी न खेलती मेरे साथ खेल 
उससे तीन वर्ष का छोटा हूँ  
तीन वर्ष  बड़ा मानता हूँ अपने को
हर वक़्त रोब जमता 
कहने का हूँ मै छोटा 
कभी न उसकी मै सुनता 
जो मन आता मै करता
माँ से भी डांट  सुनाता हूँ
भाई के सामने भी नीचा दिखता हूँ 
गुस्सा मुझ पे वो करती 
हर वक़्त मुझसे वो लडती 
फिर भी मेरी वो फ़िक्र करती 
दो अछर की मेरी दीदी 
कहते हैं उसे लोली.
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5/03/2012

"अलग -थलग "

मै  पड़ गया हूँ अलग थलग
जागने सोने के चक्कर में 
खोने पाने के क्रम में
दुःख सुख के जाल में
नाम अमर और बदनाम होने के भैय  से 

मै पड़ गया हूँ अलग थलग
अपनों के बिछड़ने के डर से
बहार आने से पहले उजड़ने के डर से
फूलों के मुरझाने से 
कांटें चुभने  के डर से 
 मै पड़ गया हूँ अलग थलग 

अपनों की भीड़ में 
परायों  के  चक्कर में
मरने के डर से जीने के चक्कर में 
मै पड़ गया हूँ अलग थलग

सबसे दूर हो गया  हूँ
रेल के सफ़र में 
रेल समय पे आने पे 
रेल छुटने के भैय से 
रिक्सा खोजने के चक्कर में 
पैदल ही पहूच गया हूँ स्टेशन 

मै पड़ गया हूँ अलग थलग सफ़र में
रेल की सवारी में सीट ना मिलने पर 
अपने डब्बे में चल रहे हम सफ़र से 
बहस छिड़ जाने के भैय से 
खड़े ने रह कर बैठने के चक्कर में

मै पड़ गया हूँ अलग थलग 
आज कल के चक्कर में 
मै पड़ गया हूँ घन-चक्कर में 
नींद न न पे भी आँख बंद किये रहने के चक्कर  में

मै पड़ गया हूँ अलग थलग
सफ़र पूरा होने पे 
पानी भर ने में
प्यास बुझाने  के चक्कर में
खाना खाने के क्रम  में
पानी ही पी लेता हूँ उलझे पल में  

मै पड़ गया हूँ अलग-थलग  जीवन में.
जिन्दगी भी रेल के सफ़र जैसी है
अलग थलग उलझी-उलझी है
जिन्दगी के बारे में सोचने के चक्कर में
मर रहा हूँ मै हर पल में 
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4/30/2012

"कितने अच्छे लगते हैं "

पेड़ झूमते
लोग झूमते
मोर नाचते 
गायक गाते
कितने अच्छे लगते हैं
हरयाली पेड़ की श्रृंगार
मस्ती लोगों की शान
सुनहरे पंख मोर के
कंठ सुनहरे गायक के
मन को भाते
कवि पढ़ते कविता 
गायक सुनते गाना
लगते कितने अच्छे 
मन को भाते
बच्चे की तोतली  बोली
कोयल की मधुर कुंक 
कौआ की काऊं-काऊं
मेढक की टर-टर
जीवन में संघर्ष 
मन का प्रेम
सुबह  की ठंढक
रत की अन्धेली 
चंद्रमा की रोशनी 
सूर्य की गर्मी
टीचर  के गुस्से 
सोचते बच्चे 
कितने अच्छे लगते हैं.
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4/28/2012

"भिखारी"

अल्लाह के नाम पे दे दे  बाबा 
अल्लाह के नाम पे दे दे ......
अबाज में दर्द भरी मिठाश 
आँखों में नमी कटोरे हाथ
कोई डाल देता एक सिक्का 
उसके कटोरे में
वह हो उठता निहाल
देखता उसे टकटकी लगा
उसकी खनकती अबाज उसे सुख देती
बार- बार उसे खनकता रहता
कोई देता उसे दुत्कार
उभरती मासूमियत भरी रेखा
उसके चेहरे पर
फिर वही अबाज,
अल्लाह के नाम पे दे दे  बाबा


अल्लाह के नाम पे दे दे ......
सबों को आशीष दिए घूमता वह
सबों की मंगल कामना करता वह
कहलाता वह भिखारी
थोडा लेकर बहुत कुछ दान किये चलता वह
कही प्यार, कहीं  दुत्कार
कहीं  सान्तवना, कही नसीहत
कही मिलते ठोकर ,कही कटु वचन
सबों के लिये निकलते 
उसके मुख से एक ही स्वर 
अल्लाह के नाम पे दे दे ......

4/25/2012

नई ऊर्जा: An encouraging Poem






कण-कण से हम बने हैं
कण-कण में ही बटना होगा 
लाख दुखों को दोष दें 
दुःख संग ही जीना होगा.

कोई हो  कसक या  उलझन 
उसे दुःख पे न थोपो तुम
हो कोई समस्या जीवन में
समाधान  तुम्हे ही बनना होगा
कण-कण से हम बने हैं
कण-कण में ही बटना होगा.

अगर है तन्हाई जीवन  में
दुनिया को नीरस  न बताओ  तुम 
दुनिया तो है चंचल 
चलती रहती अपने धुन में
तुम्हे अपने धुन में चलना होगा
मंजिल तक रमना होगा
कण-कण से हम बने हैं
कण-कण में ही बटना होगा.



पिपासा भरी पड़ी है तेरे अन्दर
वो तुम्हे खोने का ही अहसास कराती है 
खोया तमने कुछ  होगा,वो उसे बड़ा बताती है
पाया है तुमने जो बहुत कुछ
उसका ध्यान आप ही करना होगा
दुःख से हटकर खुद को  सुख से भरना होगा
कण-कण से हम बने हैं
कण-कण में ही बटना होगा.

सपने अधूरे हैं अगर तुम्हारे
स्वपर्निल संसार को दोष न दो
भ्रमित किया है इसने तुमको
कह कर,खुद को दोष मुक्त न करो
अगर  किया है गलती कुछ तुमने
साहस के साथ स्वीकार करना होगा
खुद को अच्छाई से भरना होगा
कण-कण से हम बने हैं
कण-कण में ही बटना होगा.

दुःख में वो दम कहाँ
जो तुम्हे तोड़ दे
दुःख तो है कमजोर साथी
हमें उव्देलित कर अपनी कमजोरी छुपाती है
सुख तो है शर्मीला साथी,अपनी पहचान छुपाती है
उसे मजबूत बना,खुद को मजबूत करना होगा
कण-कण से हम बने हैं
कण-कण में ही बटना होगा.

सिर्फ यही नहीं दर्शन  जीवन के
इसे तो बस एक छाया मानकर चलना होगा
दुनिया   तो   दर्शन   से  भरी  पड़ी
इसकी हर छटां, बिखेरती एक दर्शन नई
तुम्हे हर दर्शन को समझकर चलना होगा
खुद तुमको,एक जीवन दर्शन बनना होगा
खुद को नई ऊर्जा से बहरना होगा

कण-कण से हम बने हैं
कण-कण में ही बटना होगा.
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4/24/2012

"जीये तो वो हैं"

खुद को संयमित करके 
जो पहाड़ो को जितने का हौसला रखे  
धाराओं को चीर करके जो उस पार पहुंचे
जीये  वो हैं,
हम सिर्फ जिन्दा हैं.

रस्ते के काँटों को देख कर भी 
जो कभी न रुके
पथरीले राहों पर भी 
जो निरंतर बढ़ते रहे
जीये  वो हैं,
हम  सिर्फ जिन्दा हैं.

खुद के जख्मों को खुरेद्कर
जो औरों के जख्म भरे
खुद के आंसू पी कर
जो औरों के आंसू पोछने का मद्दा रखे 
जीये  वो हैं,
 हम  सिर्फ जिन्दा हैं

वक़्त चाहे कितना भी कठिन हुआ हो
खुद को सदा,अपने सपने से जोड़कर रखे
जब औरों को उनकी जरूरत पड़ी
खुद के सपने तोड़ने से जो पीछे न हटे
जीये  वो है,
हम  सिर्फ जिन्दा हैं.


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4/22/2012

"रंग भर दो "



सादा है तन मेरा
रंग भर दो
अकेले हूँ पथ पर 
संग चल दो
जीवन है नीरस  मेरा
रंग भर दो
खो गए साथी मेरे 
साथ हो जाओ तुम
मेरे जीवन में उमंग भर दो
सादी है जिन्दगी मेरी 
रंग भर दो
धीरे-धीरे चलकर 
थक गया हूँ मै 
मेरे संग तेज चलकर 
मुझमे लगन भर दो
सादी है जिन्दगी मेरी
रंग भर दो
खो गए है सपने सारे
बदरंग  हो गए सपने हमारे
मेरे सपनो के संग चल दो
 मेरे सपनो में रंग भर दो
सादी है जिन्दगी मेरी 
रंग भर दो.



Note-Part of artwork is borrowed from the internet ,with due thanks to the owner of the photographs/art

4/21/2012

"एक खेल "




हर किशोर ने एक खेला होगा
विरह वेदना और संताप को झेला होगा
कुछ टूट कर बिखर गए होंगे
कुछ ने टुकरो में खुद को समेटा होगा .

हर किशोर ने खेला होगा
प्यार के पत्थर को उछालकर 
एक दुसरे पर फेका होगा 
हँसी और उल्लास को बटा होगा 
एक दुसरे पे मरने को आतुर 
हर किशोर हुआ होगा.

हर किसी को हमउम्र  की तलाश होती है
पर एक किशोर जब एक किशोर से जुड़ा होगा
सामाजिक बंधन उसे क्यों जकड़ा 
क्या बुराई है, हमारे रिश्ते में
क्यों उठाई उँगलियाँ लोगो ने
ये सवाल हर किशोर मन झकझोरा होगा.

हर किशोर ने झेला होगा
बेमतलब रोक-टोक की गलानी को
उसकी बुद्धि   कहे जो ठीक है ,उसे
गलत किसी ने बोला होगा
बालको ने कम, बालिकाओं ने ये दंस ज्यादा झेला होगा
रोकर खुद को जलती क्यों हो
विद्रोह करने का उनका  मन भी बोला होगा
कुछ ने खुद को दबाये  रखा 
कुछ ने तसलीमा बनकर मुंह खोला होगा
बदले में मौत का फतवा/ मौत पाया होगा
किसी को भाई ने गला दबाया
किसी को पिता या पति ने बेरहमी से मारा  होगा.

हर किशोर ने एक खेला होगा 
परम्परा से हटकर कुछ करने को सोचा होगा
होकर उदास कभी,
गुस्से से भरकर
दुनियां जलने को सोचा होगा

हर किशोर ने एक खेल खेला होगा
जीवन को दाव पे लगा 
सपनों  में उलझा होगा
कुछ सपनों के जाल  को तोड़
मंजिल तक पहुंचा होगा 
कुछ इस जाल  में उम्र भर उलझा होगा

हर किशोर अपनी शक्ति की आग में झुलसा होगा
कुछ ने अपनी शक्ति को सच में परखा होगा 
कुछने   व्यर्थ  के कामों में 
अपनी शक्ति को खोया होगा 
कुछ ने अपनी शक्ति को 
अपने सपनों से  जोड़ा होगा.

हर एक किशोर ने खेला होगा 
 खुद में कभी उलझा होगा 
खुद में कहीं खोया होगा 
दुसरे को पाया बहुत थोडा होगा 
कुछ्ने सचमुच में ,खुद को बड़ा बना पाया होगा 

हर किशोर ने देखा होगा 
खुद को असमान में 
कुछ असमान तक सचमुच पहुंचा होगा 
कुछ के दिल को ठेस पहुंचा होगा 

कोई नहीं समझता हमें ,पाया होगा 
अपनी भावनाओं  को समझाने  को आतुर 
एक किशोर को ढूंढा होगा 
किशोर को, किशोर ही,
 समझ सकता है और कोई नहीं
हर किसी ने अपने उम्र में ,
ये दंस झेला होगा.

हर किशोर ने दुनियां को समझने का खेल खेला होगा
पर दुनियां कब समझी समझाने से 
कुछ  खुद  पर अड़े रहे होंगे 
कुछ ने दुनियां के साथ 
मजबूर होकर जीना सीख लिया होगा.

  हर किशोर ने एक खेला होगा
विरह वेदना और संताप को झेला होगा
कुछ टूट कर बिखर गए होंगे
कुछ ने टुकरो में खुद को समेटा होगा .



Note-Part of artwork is borrowed from the internet ,with due thanks to the owner of the photographs/art

  
   

4/19/2012

"मुझको अमर कर दो "

अपने होंठो से कब तक लेता रहूँ नाम
ऑंखें मुंद कर कब तक तुझे देखता रहूँ प्राण 
कभी इन खुले आँखों को भी दर्शन दो
लेकर मेरा नाम  मुझको अमर कर दो.

 मेरी आत्मा को तृप्त होने दो 
मुझको अपने दिल में बसा  लो 
मुझ में और खुद में भेद मिटा दो 
लेकर मेरा नाम मुझको अमर कर दो.

तेरी रेशमी बिखरे बालों को,
मै सुलझाना चाहता हूँ
तेरे मोती जैसे मोटे आसूं 
मै पीकर प्यास मिटाना चाहता हूँ
मेरे समर्पण को स्वीकार 
तुम भी समर्पण कर दो
लेकर मेरा नाम मुझको अमर कर दो.

कितना प्यार है तुम से मुझको 
कैसे दर्शाऊं तुम्ही कहो
जैसे तुम्हे विस्वास हो वही कर दिखलाऊं
थोड़े से मेरे सपने हकीकत कर दो
लेकर मेरा नाम मुझको अमर का दो.

जिन्दगी क्या है? सिखा दो
विस्वास क्या है? बता दो
शमाँ  की तरह जलकर ,मुझको भी
जलने का वैभव दो
लेकर मेरा नाम मुझको अमर कर दो.

शमाँ  अकेले भी जल सकती है 
पर परवाने क्या जल सकते है? शमाँ बगैर 
हो कोई तरकीब तो, हमें दो
लेकर मेरा नाम मुझको अमर कर दो.

तू भी अधूरी मै भी अधुरा 
एक दुसरे से ही हम है पूरा
तेर मेरे बैगर रह जायेगा प्रेम पथ सुना
लेकर मेरा नाम दिल से 
प्रेमपथ अमर कर दो
लेकर मेरा नाम मुझको अमर कर दो.
     
                          विक्रम प्रशांत