5/15/2012

"अन्जान मोहब्बत "


ये प्यार की लहरें 
यूँ ही न  बिखर जाएँ 
चट्टनों  से टकरा  कर 
सागर से पहले न  दम  तोड़ जाएँ 
अंजान  मोहब्बत और मै  अदना  सा 
कातिल  उनकी निगाहें और मै  सहमा सा 

कभी नजरें चुराता कभी खुद को छुपता 
चला मै  अपने धुन  में 
अंजान - अंजान मै सहमा सा 
अपनी निगाहों से  चलता उसे  घेरे 
कहीं जादू कोई चल  जाये ,
वो मरे प्यार में पड़ जाये   

दिल में लिए अरमान 
मै   प्यार में नादान 
कैसे उसको रिझाऊं 
कैसे उसको बेचैन कर जाऊं 
अपनी निगाहें से वो मुझे हटने ना  दे
ऐसे वो मुझे  अपनी निगाहों से घेरे 

प्यार में बेचैन मै
खुद  को  कहीं प्यार ना  कर पाऊं  
खुद को कर बदनाम  मै  
उसको कहीं खो ना जाऊं 
अंजान मोहब्बत   और मै  अदना  सा 
कातिल  उनकी निगाहें और मै  सहमा सा 

 मै नादान  चला करने प्यार का इजहार 
उन्होंने भी बड़े अदब से किया इंकार 
टूटे दिल और मंद -मंद मुस्कान लिए सोचता हुआ लौटा 
दुःख  किसका ,  टूटे दिल  या इंकार का 
हुई पहचान मोहब्बत  से और मै उलझा सा 
कातिल  उनकी निगाहें और मै अपने धुन  में  खोया-खोया सा  .


Note-Part of artwork is borrowed from the internet ,with due thanks to the owner of the photographs/art

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