11/24/2016

महबूब तू तो बदल

प्यार तो करता हूँ
जैसा मैं चाहता हूँ
जैसा तुम चाहती हो
पर इस अँधेरे में जीना कैसा
जहाँ सपने भी दिखाई न देते हों।
कुछ दूर चालना
बहुत देर रुक जाना
मेरा दोहरापन थकने का नाम ना लेता है
यूँ तो भरा हूँ बदलाव के छावँ से
लेकिन बदलाव मुमकिन नहीं मान बैठा हूँ
और घर से निकला ही नहीं।
प्यार इंतज़ार कर
महबूब तू बदल जिन्दा हो
मुझे लाश होने से बचा ले,
मेरे दोहरेपन को हवा न दे
मेरा दोहरापन यूँ भी कहाँ थकता है।

नदी को बहने देना ही मेरा मकसद है
तू मत सोच की नदी उलटना चाहता हूँ मैं
साथ चल देख
क्या नदी बहती है अभी।

रुकी हुई जो धार अभी
उसका क्या
कुछ भी नहीं
रुके रहने दूँ
जैसे रुकी थी
मेरे महबूब उसकी कड़वाहट तू महसूस तो कर
चल मेरे संग दो घुट लगा
उस रुकी हुई तालाब की भी
जो कभी बही ही नहीं।

11/15/2016

लाल

बेड़ियाँ तोड़ कर फेकने की जरूरत  है
आवाज अगर उठाई है किसी ने तो आवाज बढ़ाने की जरुरत  है
साथ चलने का वादा करो तो कुछ देर नहीं मंजिल तक साथ चलो
मंजिल मिलेगी मंजिल दिल में स्थापित करो
फिर कोई चले न चले तुम चलते रहो।
आग जली है तो गरीबी, भूख, दर्द, बेरोजगारी को आहूत करने की जरुरत  है
अब अगर कोई जुमला निकले तो जुमला कुचलने की जरुरत है
जब भूख अब खुद को आहूत करने को आतुर है
नायक की तब किसे दरकार है
भीड़ की हर आवाज को मिलकर नायक बनने की जरुरत है।
काला नाग फन फैलाये गरीबों के आँगन में हैं
अब हो चुकी मुहीम जब नाग को निकलने की
गरीबों के खून की जरुरत है
जब खून बहने को तैयार हो चूका है
हर नाग को खून में डुबाने की जरुरत है
अब हर आँगन को लाल की जरुरत है।

काले नाग भेष बदलने में माहिर है
ये  याद रखना होगा
एक मुंड है पर फन तो हजारों है
कोई फन स्वर्णिम मोहकता लिए है
कोई फन मिट्टी की खुशबू
कोई फन विद्या के मंदिर में है
कोई फन अस्पताल का रूप लिए है
कोई फन जनता की आवाज बनी है
कोई फन भगवन के घर में है
कोई फन संसद की सीढियाँ चढ़े है
कोई फन हमारा सबकुछ कब्ज़ा करे है
कोई फन फनकार बने है
हर फन को पिघलाने की जरुरत है
अब खून का कतरा कतरा आग बन भड़क उठे
हर फन को ढूंढे और जला कर आगे बढे
आवाज उठाई है किसी ने तो आवाज बढ़ाने की जरुरत है
रोते रोते ही सही भूखे भूखे ही सही
फटे हो कपडे तो फ़टे कपडे ही सही
सब जब नाग कुचलने को आतुर है
अब बीच में कोई हमारे आंसू की दुहाई देकर नाग का पोषक बन जाये
कोई अगर नाग के किसी भी फन को जलने से रोकने की कोशिश करे
कोई अब अगर जुमला बन जाये
हर किसी को गर्म लहू से पिघलाने की जरुरत है
अब हर मानस को मंजिल तक चलने की जरुरत है।

अब रुकने को आगर नायक भी कहे
जनमानस को रुकने की जरुरत नहीं
हर काले फन को जलाकर
न्याय स्थापना की जरुरत है
होने लगे अगर आग कम लीडर में भी
बनने लगे हितैसी किसी भी काले फन की भी
लीडर को भी जला आग खुद में भरने की जरुरत है
अब हर आँगन को लाल की जरुरत है।

10/07/2016

गोडसे तुम हारोगे



हारोगे ही गांधी के हत्यारे !
तुम्हे जीना ही होगा मुँह छुपाके,
ये धरती सत्य की है,
झूठ तुम ढँक  ही जाओगे।
महात्मा की करुणा में,
जब तुम निर्मल न हुए,
प्यार और श्रद्धा में,
जब तुम पावन न हुए,
गोडसे तुम्हें  हारना ही होगा,
चाहे जहाँ जिस में रहो। 
मानवता मोहताज नहीं
भीड़ की ,
सत्य को दरकार नहीं
चीख की ,
एक अकेला "विक्रम" बोलेगा ;
गुंजायमान हो उठेगी धरा,
इस युग में  उस युग में।
तुम्हे धूमिल होना ही होगा,
क्षणिक चमक खोना ही होगा,
सत्ता की प्रश्रय में रहो या,
भीड़ की दीवारें खड़ी कर लो।   



9/01/2016

अजनबी मुलाकात

कोई कोई अजनबी मुलाकात हो जाये
कोई लम्हा आकर मुझसे कहे
तुम्हे देखु मन मचले दिल वही ठहर जाये
तुम्हारे पैरों की थापथपहत मेरी धड़कनो को आवाज दे
कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।

कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।
मेरे अंदर जो आग है वो दफ़न  न हो
तुम्हारे अंदर की शीतलता  बनी रहे
मुझे तपिस मिले तुम्हे नमीं मिले
कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।

रंगों का उतावलापन मुझ में दीखता रहे
कुछ न बदले न तुम्हारा रंग न  मेरा रंग
जमाना भी वहीँ सिमटा रहे
कुछ हलचल न हो
मेरा मिटना बस बढ़ता रहे
तुम्हारा मिटना बस बढ़ता रहे
हमारा बनना बस चलता रहे
कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।
 हो जाये
कोई लम्हा आकर मुझसे कहे
तुम्हे देखु मन मचले दिल वही ठहर जाये
तुम्हारे पैरों की थापथपहत मेरी धड़कनो को आवाज दे
कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।

कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।
मेरे अंदर जो आग है वो दफ़न  न हो
तुम्हारे अंदर की शीतलता  बनी रहे
मुझे तपिस मिले तुम्हे नमीं मिले
कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।

रंगों का उतावलापन मुझ में दीखता रहे
कुछ न बदले न तुम्हारा रंग न  मेरा रंग
जमाना भी वहीँ सिमटा रहे
कुछ हलचल न हो
मेरा मिटना बस बढ़ता रहे
तुम्हारा मिटना बस बढ़ता रहे
हमारा बनना बस चलता रहे
कोई ऐसी अजनबी मुलाकात हो जाये।