"अनजान मोहब्बत "
ये प्यार की लहरें
यूँ ही न बिखर जाएँ
अनजान मोहब्बत और मै अदना सा
कातिल उनकी निगाहें और मै सहमा सा ये प्यार की लहरें
यूँ ही न बिखर जाएँ
चट्टनों से टकरा कर
सागर से पहले न दम तोड़ जाएँ अनजान मोहब्बत और मै अदना सा
कभी नजरें चुराता कभी खुद को छुपता
चला मै अपने धुन में
अनजान-अनजान सहमा सा
अपनी निगाहों से चलता उसे घेरे
कही जादू कोई चल जाये ,
वो मरे प्यार में पड़ जाये
दिल में लिए अरमान
मै प्यार में नादान
कैसे उसको रिझाऊं
कैसे उसको बेचैन कर जाऊं
अपनी निगाहें से वो मुझे हटने ना दे
ऐसे वो मुझे अपनी निगाहों से घेरे
प्यार में बेचैन मै
खुद को कहीं प्यार ना कर पाऊं
खुद को कर बदनाम मै
उसको कहीं खो ना जाऊं
अनजान
मोहब्बत और मै अदना सा
कातिल उनकी निगाहें और मै सहमा सा
मै नादान चला करने प्यार का इजहार
उन्होंने भी बड़े अदब से किया इंकार
टूटे दिल और मंद -मंद मुस्कान लिए सोचता हुआ लौटा
दुःख किसका , टूटे दिल या इंकार का
हुआ अब पहचान मोहब्बत से और मै उलझा सा
मै नादान चला करने प्यार का इजहार
उन्होंने भी बड़े अदब से किया इंकार
टूटे दिल और मंद -मंद मुस्कान लिए सोचता हुआ लौटा
दुःख किसका , टूटे दिल या इंकार का
हुआ अब पहचान मोहब्बत से और मै उलझा सा
कातिल उनकी निगाहें और मै अपने धुन में खोया-खोया सा .
"हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ "A love poem
हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ
कैसे तुम कृष्ण वियोग में तड्पी होगी
कैसे इस विछोह को तुमने झेला
आंसू ना बहाने का वचन क्यों निभाया ?
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
क्या तेरे मन में नफरत नहीं पनपी?
जिसे साडी दुनिया छलिया कहती
क्या तुझे नहीं लगा ?उसने तेरे साथ छल किया
तेरे मुख उसके लिए कड़वे वचन नहीं उगली
तू कैसे सदा उसे प्यार करती रही
उसके झुठे अस्वासन पे
उसका इंतजार करती रही
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तुमने क्यों ना इंतजार करना छोड़ दिया
क्यों न सारे वचनों को तोड़ दिया
क्यों उस झूठे का वचन निभाया
आखिर तुमने क्या पाया?हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
अगर मै दुनिया की मानु
कृष्ण में सारे अवगुण भरे थे
तुमने कैसे उसमे गुण ढूंढ़ निकला
जो उसके मोह में तुझे जकड़े थे
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
आज भी तो तुम जैसी राधा है
मुझ जैसे कृष है
परन्तु अब वो मेरा इंतजार नहीं करती
किसी और के दामन को थाम
जीवन की नई सफ़र शुरु करती है
आखिर तूने ऐसा क्यों गजब कर डाला
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
मत कहना आज की राधा
कृष्ण से प्यार नहीं करती
अगर वो तुझ सा करती
कब का मिट चुकी होती
आखिर तूने ऐसा क्यों आदर्श बना डाला
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तू भी आज की राधा बन सकती थी
मना तू कृष्ण से प्यार करती थी
पर तूने कृष्ण को नीचा दिखाया
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
"हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ "A love poem
हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ
कैसे तुम कृष्ण वियोग में तड्पी होगी
कैसे इस विछोह को तुमने झेला
आंसू ना बहाने का वचन क्यों निभाया ?
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
क्या तेरे मन में नफरत नहीं पनपी?
जिसे साडी दुनिया छलिया कहती
क्या तुझे नहीं लगा ?उसने तेरे साथ छल किया
तेरे मुख उसके लिए कड़वे वचन नहीं उगली
तू कैसे सदा उसे प्यार करती रही
उसके झुठे अस्वासन पे
उसका इंतजार करती रही
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तुमने क्यों ना इंतजार करना छोड़ दिया
क्यों न सारे वचनों को तोड़ दिया
क्यों उस झूठे का वचन निभाया
आखिर तुमने क्या पाया?हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
अगर मै दुनिया की मानु
कृष्ण में सारे अवगुण भरे थे
तुमने कैसे उसमे गुण ढूंढ़ निकला
जो उसके मोह में तुझे जकड़े थे
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
आज भी तो तुम जैसी राधा है
मुझ जैसे कृष है
परन्तु अब वो मेरा इंतजार नहीं करती
किसी और के दामन को थाम
जीवन की नई सफ़र शुरु करती है
आखिर तूने ऐसा क्यों गजब कर डाला
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
मत कहना आज की राधा
कृष्ण से प्यार नहीं करती
अगर वो तुझ सा करती
कब का मिट चुकी होती
आखिर तूने ऐसा क्यों आदर्श बना डाला
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तू भी आज की राधा बन सकती थी
मना तू कृष्ण से प्यार करती थी
पर तूने कृष्ण को नीचा दिखाया
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
2 टिप्पणियां:
Great..!!
I know inspiration point of this poem.
Nice creation yaar.
realy...how?
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