5/21/2020

मुझे भी जिंदा होने का मन करता है

मेरे मुल्क की आधी आबादी
तुम जिंदा हो
इस बात का जिरह नहीं करना मुझको की तुम कहाँ हो
तुम सबरी माला में हो
या शाहीन बाग में
बस ये जान कर सुकून हुआ
तुम जिंदा हो।
और उस वक़्त में
जब मुल्क को जागने की जरूरत है
तुम मशाल लेकर निकल पड़ी हो
अब मुझे इस बात पे भी जिरह नहीं करना है
तुम क्या क्या कर सकती हो
तुम खेत खलियानों को सींच सकती हो
अपने लहू से भविष्य ही नही वर्तमान भी सींच सकती हो
मुझे इस बात का भी जिरह नहीं करना है
कि तुम किसके बराबर हो
तुम किस मशले पे संघर्ष कर रही हो
तुम निर्भया की वीर माँ हो
या अपने ही घर मे दहेज लोभियों से लड़ रही हो
मुझे सुकून है
तुम जिंदा हो
और उस वक़्त में
जब मुल्क अपनी आंखों पे काली पट्टी बंधे
न्याय के इंतज़ार में खड़ा हैं।
तुम जिंदा हो
इसलिए मुझे अब ये भी जिरह नहीं करना
कि मुर्दों के मुल्क में
मुल्क क्यों जिंदा है।
मेरे मुल्क की आधी आबादी
तुम जिंदा हो
मुझे भी जिंदा होने का मन करता है।



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