5/10/2012

दीदी

दो अछर की मेरी दीदी
कहते हैं उसे लोली 
नाक उसके बड़े-बड़े 
आँखें उसकी गोल 
कभी न पटती मुझसे 
कभी न खेलती मेरे साथ खेल 
उससे तीन वर्ष का छोटा हूँ  
तीन वर्ष  बड़ा मानता हूँ अपने को
हर वक़्त रोब जमता 
कहने का हूँ मै छोटा 
कभी न उसकी मै सुनता 
जो मन आता मै करता
माँ से भी डांट  सुनाता हूँ
भाई के सामने भी नीचा दिखता हूँ 
गुस्सा मुझ पे वो करती 
हर वक़्त मुझसे वो लडती 
फिर भी मेरी वो फ़िक्र करती 
दो अछर की मेरी दीदी 
कहते हैं उसे लोली.
Note-Part of artwork is borrowed from the internet ,with due thanks to the owner of the photographs/art

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