11/05/2012

"हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ "A love poem


हे राधे तुम अपनी व्यथा सुनाओ 
कैसे तुम कृष्ण वियोग में तड्पी होगी 
कैसे इस विछोह को तुमने झेला 
आंसू ना बहाने का वचन क्यों निभाया ?
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ 
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
क्या तेरे मन में नफरत नहीं पनपी?
जिसे साडी दुनिया छलिया कहती
क्या तुझे नहीं लगा ?उसने तेरे साथ छल किया
तेरे मुख उसके लिए कड़वे वचन नहीं उगली
तू कैसे सदा उसे प्यार करती रही
उसके झुठे अस्वासन पे
उसका इंतजार करती रही
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तुमने क्यों ना इंतजार करना छोड़ दिया                                                      
क्यों न सारे वचनों को तोड़ दिया
क्यों उस झूठे का वचन निभाया
आखिर तुमने क्या पाया?हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
अगर मै दुनिया  की मानु
कृष्ण में सारे अवगुण भरे थे
तुमने कैसे उसमे गुण ढूंढ़ निकला
जो उसके मोह में तुझे जकड़े थे
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
आज भी तो तुम जैसी राधा है
मुझ जैसे कृष है
परन्तु अब वो मेरा इंतजार नहीं करती
किसी और के दामन को थाम
जीवन की नई सफ़र शुरु करती है
आखिर तूने ऐसा क्यों गजब कर डाला
आखिर तुमने क्या  पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
मत कहना आज की राधा
कृष्ण से प्यार नहीं करती
अगर वो तुझ सा करती
कब का मिट चुकी होती
आखिर तूने ऐसा क्यों आदर्श बना डाला
आखिर तुमने क्या पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
तू भी आज की राधा बन सकती थी
मना तू कृष्ण से प्यार करती थी
पर तूने कृष्ण को नीचा दिखाया
आखिर तुमने क्या  पाया? हमें बताओ,
हे राधे अपनी व्यथा सुनाओ।
Note-Part of artwork is borrowed from the internet ,with due thanks to the owner of the photographs/art

कोई टिप्पणी नहीं: