4/15/2012

आगे बड़ते जाओ

निकल कर इस दुनिया से ,
नई दुनिया बनाओ 
ऊँचे ऊँचे सपने आँखों में बसाओ 
आगे बढ़ते जाओ .

रह में पड़े पत्थर को 
लाँघ कर पर कर लो 
जीवन को बढाओ 
आगे बढ़ते जाओ .

जिसमे हो सबकी ख़ुशी 
वो कम कर दिखलाओ 
अँधेरे में दीपक जलाओ 
आगे बढ़ते जाओ .

निराश न हो जीवन से
दुःख  से आंख मिलाओ
हँस कर दुःख भगाओ
आगे बढ़ते जाओ.

आँखों में भर लो अंगारे 
जिसे देख दुश्मन भागे 
क्रांति की मशाल जलाओ 
आगे बढ़ते जाओ.



कोई टिप्पणी नहीं: