9/08/2014

धुकधुकी

नारी आज भी तुमको छूपना पड़ता है,
हो निर्णय तुम्हारा कितना भी उचित
सवालों से वार किया जाता है.
अँधियारे मे गर तुम रोशनी बन चमक जाती हो,
तुम्हारी चमक को बुझाकर फिर से जलाया जाता है.

नारी आज भी तुम्हारी आजादी अपनी नहीं है,
तुम से अधिक महत्व हिजाब को दिया जाता है.
कुमकुम तेरे माथे पे सजाया जाता है,
तेरी मासूमियत पाजेब की जंजीरों से बंधा जाता है.
तेरी धुकधुकी बनी रहे हमेशा,जाल फ़ैलाया जाता है। 


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